न हक जता सके,
न अपना हम कुछ समझा सके।
ज़िंदगी की दलदल में इस कदर फसे,
की अपनी गुरूर खो बैठे।।कहते हैं उम्मीद पे दुनिया कायम होती है,
पर क्या दुनिया इतनी बेरंग होती है।
तू अपना ले इस लिए क्या क्या नहीं किया,
पर कमबख्त तूने तो हजारों दफा बस वार किया।।क्या कुसूर था मेरा,
जो इतने जख्म दिया,
मरहम की जगह भी तूने सिर्फ दर्द दिया।तेरा पहला प्यार नहीं थी,
शायद यही थी मेरी गलती।
जब जब मैंने हाथ थमा, तूने तो पराया कर दिया
मौत की सजा भी तूने मुझे रोज दिया।।न जाने क्यों मोहब्बत तुमसे आज भी करते हैं,
क्यों इस प्यार नाम का कफ़न हम ओढ़े रहते हैं।
कातिलों को भी सजा एक बार होती है,
फिर मेरी सजा क्यों खत्म नहीं होती है??कुछ रिश्ते बनाए नहीं बनते,
कुछ छूटने पर भी नहीं टूट ते।
प्यार एक गुनाह है,
और में उसकी गुन्हेगार हूं।।खुदा गवाह है,
कितनी दफा मैंने अपनी मौत की दुआ मांगी हैं।
आंसुओं का कितना कतरा मैंने तेरी खातिर बहाया था,
यार कैसे न जाने था तेरा प्यार??इतनी दफा रोई हूं फिर भीं तेरे से जुदा नहीं हुई,
पर अब में हूं थकी हुई।
आखिरी कितनी दफा चीख के प्यार की भीख मांगू,
आखिर कितनी दफा तेरे पास पड़ी रहूं।जा अब नहीं आती,
अब कुछ नहीं है बाकी।
जा तू भीं उस दर्द से गुजर,
तू भी खा यह ठोकर।।© आकांक्षा समांतराय
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A Soul In Pain
PoetrySo my inspiration comes from the line: The saddest songs are the sweetest one.. कविताएं सिर्फ शब्द नही होती, यह एक जरिया होता है, जिससे हम अपनी दिल की बातो का इजहार कर पाते हैं । #Poetry #Hindi_Poems