तरस

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जाने क्यों कुछ लोग तरसते हैं,
जाने क्यों कुछ लोग भीड़ में भी तनहा रह जाते हैं?
ऐसी क्या खता रही होगी उनकी,
जो यह सजा मिली होगी ??

यूं किसी को हर पल तोड़ने पर क्या मिलता होगा,
जब साथ रहना नही होता तो किसको क्यूं बहलाना।
न जाने क्या क्या सहा होगा उसने,
फिर भी किसी ने लगाया न उसे सीने से।।

वो हर पल अकेली रही,
तरसती रही।
पर कोई उसे समेटने आया नही,
क्या बीतता होगा उसपर किसी ने कभी सोचा नहीं।।

जीना उसके लिए था एक श्राप,
जिसको मिटाने की कोशिश की थी उसने बार बार।
हर एक इंसान ने उसको थोड़ा था,
फिर उस बेचारी के लिए जीना संभव कैसे था??

यह दुनिया बड़ी जालिम है,
धोका और नफरत के सिवा इसमें रखा क्या है।
जो एक मासूम की सांस रोंध दे,
यह हक तुमको दिया किसने??

-© आकांक्षा समांतराय

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