केला
संज्ञा
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अनुवाद
- अंग्रेज़ी: banana (en)
- फ्रांसीसी: banane (fr) स्त्री॰
- जर्मन: Banane (de) स्त्री॰
- तमिल: வாழைப்பழம் (ta)
- गुजराती: કેળુ (gu)
- कोंकणी: क्यांळे (kok)
- नेपाली: केरा (ne)
यह भी देखिए
- केला (विकिपीडिया)
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
केला संज्ञा पुं॰ [सं॰ कदलक, प्रा॰ कयल] एक प्रसिद्ध पेड़ । कदली । विशेष—यह भारतवर्ष, बरमा, चीन, मलाया के टापुओं, अफ्रीका, अमेरिका, दक्षिणी युरोप आदि गरम स्थानों में होता है । इसके पत्ते गज डेढ़ गज लबे और हाथ भर चौड़े होते हैं । इस पेड़, में ड़ालियाँ नहीं होती; अरुई, बंडे आदि की तरह पेड़ी या पूती ही से ऐक पत्ता निकलता है । पेड़ी चिकनी, पर्तदार, छिद्रमय और पानी से भरी होती है । केले के लिये पानी की आवश्यकता बहुत होती है, इसी से इसे नालियों में लगाते हैं । पेड़ साल भर में पूरी बाढ़ को पहुँचता है और तब उसके नीचे से कमस के आकार का कालापन लिए लाल रंग का बहुत बड़ा फूल निकलता है, जो नीचे की ओर झुका होता हैं । यह फूल एकबारगी नहीं खिलता । प्रति दिन एक एक दल खुलता हैं, जिसके अंदर आठ दस छोटी छोटी फलियों की पंक्तीयाँ दिखाई पड़ती हैं । इन फलियों के सिरों पर पीले पीले फूल लगते हैं । इन फलियों की पँक्ति को पंजा कहते हैं । प्रत्येक दल के नीचे एक एक पंजा निकलता है । पीले फूलों के गिर जाने पर यही फलियां ब़ढ़कर बडी़ बडी़ होती हैं । पूरे डंठल को, जिसमें फलियों के कई पंजे होते हैं, घौद कहते हैं । केले की अनेक जातियाँ होती हैं, जिनमें मर्तवान, चंपा, चीनिया मालभोग आदि प्रसिद्ध हैं । केले के फल साधारणतया पकने पर पीले होते हैं, पर कहीं लाल, गुलाबी, सुनहरे और हरे रंग के केले भी मिलते हैं । केले की फलीयाँ चार अंगुर से लेकर डेढ़ बित्ते तक की होती हैं । जावा में एक प्रकार का केला इतना बड़ा होता हैं जिससे चार आदिमियों का पेट भर सकता है । इस केले का फूल पेड़ी के बाहर नहीं निकलता, भीतर ही भीतर फलता फूलता है । पेड़ी में एक ही फल लगता है जिसके पकने पर पेड़ी फट जाती है । फिलीपाइन द्वीप में भी बहुत बड़े बड़े केले होते हैं बहुत से कैले बीजू होते हैं, जिनकी फलियों में काले काले गोल बीज भरे रहते हैं । इन्हें कटकेल कहते हैं । कच्चे केले की लोग तरकारी बनाते हैं । कच्चे केले को सुखा कर आटा भी बनाया जाता है जो हलका होता है और दवा के काम में आता है । बंगाल में कैले को डंठल की भी तरकारी बनती है । पत्तों के ड़ंठल से जो रेशे निकलते हैं, उनसे चटाई बुनी जाती है और कागज भी बनता है । आसाम और चटगाँव की ओर केलों के जंगल भी है ।
२. केले का फल । पर्या॰—रंभा । मोचा । कदली । अंशुमत्फल । वारणबुषा वारबुषा । सुफला । निःसारा । भानुफला । गुच्छफला । वारणवल्लभा । वन लक्ष्मी । रोचक । चर्मण्वती ।
३. पुरुषेंद्रियि (बाजारू) ।