रानी की वाव
यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल | |
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स्थान | पाटन, गुजरात, भारत, |
मानदंड | सांस्कृतिक: (i), (iv) |
सन्दर्भ | 922 |
शिलालेख | 2014 (38 सत्र) |
क्षेत्र | 4.68 हे॰ (11.6 एकड़) |
मध्यवर्ती क्षेत्र | 125.44 हे॰ (310.0 एकड़) |
निर्देशांक | 23°51′32″N 72°6′6″E / 23.85889°N 72.10167°Eनिर्देशांक: 23°51′32″N 72°6′6″E / 23.85889°N 72.10167°E |
रानी की वाव भारत के गुजरात राज्य के पाटण में स्थित प्रसिद्ध बावड़ी (सीढ़ीदार कुआँ) है। इस चित्र को जुलाई 2018 में RBI (भारतीय रिज़र्व बैंक) द्वारा ₹100 के नोट पर चित्रित किया गया है तथा 22 जून 2014 को इसे यूनेस्को के विश्व विरासत स्थल में सम्मिलित किया गया।[1]
पाटण को पहले 'अन्हिलपुर' के नाम से जाना जाता था, जो गुजरात की पूर्व राजधानी थी। कहते हैं कि रानी की वाव (बावड़ी) वर्ष 1063 में सोलंकी शासन के राजा भीमदेव प्रथम की प्रेमिल स्मृति में उनकी पत्नी रानी उदयामति ने बनवाया था। रानी उदयमति जूनागढ़ के चूड़ासमा शासक रा' खेंगार(खंगार) की पुत्री थीं। सोलंकी राजवंश के संस्थापक मूलराज थे। सीढ़ी युक्त बावड़ी में कभी सरस्वती नदी के जल के कारण गाद भर गया था। यह वाव 64 मीटर लंबा, 20 मीटर चौड़ा तथा 27 मीटर गहरा है। यह भारत में अपनी तरह का अनूठा वाव है।
वाव के खंभे सोलंकी वंश और उनके वास्तुकला के चमत्कार के समय में ले जाते हैं। वाव की दीवारों और स्तंभों पर अधिकांश नक्काशियां, राम, वामन, महिषासुरमर्दिनी, कल्कि, आदि जैसे अवतारों के विभिन्न रूपों में भगवान विष्णु को समर्पित हैं।[2]
'रानी की वाव' को विश्व विरासत की नई सूची में शामिल किए जाने का औपचारिक ऐलान कर दिया गया है। 11वीं सदी में निर्मित इस वाव को यूनेस्को की विश्व विरासत समिति ने भारत में स्थित सभी बावड़ी या वाव (स्टेपवेल) की रानी का भी खिताब दिया है। इसे जल प्रबंधन प्रणाली में भूजल संसाधनों के उपयोग की तकनीक का बेहतरीन उदाहरण माना है। 11वीं सदी का भारतीय भूमिगत वास्तु संरचना का अनूठे प्रकार का सबसे विकसित एवं व्यापक उदाहरण है यह, जो भारत में वाव निर्माण के विकास की गाथा दर्शाता है। सात मंजिला यह वाव मारू-गुर्जर शैली का साक्ष्य है। ये करीब सात शताब्दी तक सरस्वती नदी के लापता होने के बाद गाद में दबी हुई थी। इसे भारतीय पुरातत्व सर्वे ने वापस खोजा। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने सायआर्क और स्कॉटिस टेन के सहयोग से वाव के दस्तावेजों का डिजिटलाइजेशन भी कर लिया है।
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "रानी की वाव विश्व विरासत घोषित". मूल से 19 जुलाई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 जून 2014.
- ↑ "रानी की वाव, पाटन". मूल से 8 मार्च 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 जून 2014.
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- विश्व विरासत बनी 1000 साल पुरानी ‘रानी की वाव’ देखें तस्वीरें... (भास्कर)
- राणी की वाव[मृत कड़ियाँ] (गुजारत पर्यटन)
- विरासतः विश्व धरोहर गुजरात की 'रानी',प्राचीन भारत का जल प्रबंधन् का नायाब नमूना (भारतीय विदेश मंत्रालय)
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