रानी कीड़ा
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रानी कीड़ा Red velvet mites | |
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रानी कीड़ा | |
वैज्ञानिक वर्गीकरण | |
जगत: | Animalia |
संघ: | Arthropoda |
उपसंघ: | Chelicerata |
वर्ग: | Arachnida |
उपवर्ग: | Acari |
गण: | Trombidiformes |
उपगण: | Prostigmata |
अधिकुल: | Trombidioidea |
कुल: | Trombidiidae |
रानी कीड़ा (Red velvet mites) जमीन में पाये जाने वाले कीट हैं जो अपने चमकीले लाल रंग से पहचाने जाते हैं। कुछ लोग इन्हें मकड़ी समझने की भूल कर बैठते हैं। इन्हें राजस्थान में बूढ़ी माई छत्तीसगढ़ में 'रानी कीड़ा', ओडीशा में 'साधव बाव', उत्तर भारत के अनेक भागों में 'भगवान की बुढ़िया', तेलुगु में 'अरुद्र', तमिल में 'पट्टु पापाती' कहते हैं। हरियाणा में इसे "तीज" के नाम से जाना जाता है। प्रयागराज उत्तर प्रदेश में इसे "भगवान" के नाम से भी जाना जाता है[उद्धरण चाहिए]यह वीरबहूटी नाम से भी जाना जाता है।
भारत में इसे दवा के रूप में प्रयोग किया जाता है।ये कीड़ा बारिश के बाद और सर्दियों के पहले मौसम में जब ओस पड़ती है उस समय खेत की मेड़ों और घास में दिखता है। [1]
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "Medicine mite". मूल से 16 दिसंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 दिसंबर 2017.