भारत-जापान सम्बन्ध
भारत गणराज्य और जापान के सम्बन्ध सदैव बहुत मजबूत और स्थिर रहे हैं। जापान की संस्कृति पर भारत में जन्मे बौद्ध धर्म का स्पष्ट प्रभाव देखा जा सकता है। भारत के स्वतन्त्रता संघर्ष के दौरान भी जापान की राजकीय सेना ने सुभाष चन्द्र बोस जी की आजाद हिन्द फौज को सहायता प्रदान की थी। भारत की स्वतन्त्रता के बाद से भी अब तक दोनों देशों के बीच मधुर सम्बन्ध रहे हैं।
जापानी प्रधानमन्त्री शिंज़ो अबे के आर्क ऑफ़ फ़्रीडम सिद्धान्त के अनुसार यह जापान के हित में है कि वह भारत के साथ मधुर सम्बन्ध रखे विशेष रूप से उसके चीन के साथ तनाव पूर्ण रिश्तों के परिप्रेक्ष्य में देखा जाय तो। भारत की ओर से भी चीन के साथ रिश्तों और वैश्विक परिप्रेक्ष्य में जापान को बहुत महत्व दिया गया है। पूर्व प्रधानमन्त्री डॉ॰ मनमोहन सिंह सरकार की पूर्व की ओर देखो नीति ने भारत को जापान के साथ मधुर और पहले से बेहतर सम्बन्ध बनाने की ओर प्रेरित किया है। वर्तमान प्रधानमन्त्री श्रीमान नरेन्द्र मोदी ने भारतीय उपमहाद्वीप से बाहर किसी द्विपक्षीय विदेश यात्रा के लिए सर्वप्रथम जापान को चुना[1]
जापान की कई कम्पनियाँ जैसे कि सोनी, टोयोटा और होण्डा ने अपनी उत्पादन इकाइयाँ भारत में स्थापित की हैं और भारत की आर्थिक विकास में योगदान दिया है। इस क्रम में सबसे अभूतपूर्व योगदान है वहाँ की मोटर वाहन निर्माता कम्पनी सुज़ुकी का जो भारत की कम्पनी मारुति सुजुकी के साथ मिलकार उत्पादन करती है और भारत की सबसे बड़ी मोटर कार निर्माता कम्पनी है। होण्डा कुछ ही दिनों पहले तक हीरो होण्डा (अब हीरो मोटोकॉर्प व होण्डा मोटर्स) के रूप में हीरो कम्पनी के पार्टनर के रूप में कार्य करती रही है जो तब दुनिया की सबसे बड़ी मोटरसाइकिल विक्रेता कम्पनी थी। जापान ने भारत में अवसंरचना विकास के कई परियोजनाओं का वित्तीयन किया है और इनमें तकनीकी सहायता उपलब्ध करायी है। इनमें सबसे महत्वपूर्ण रूप से उल्लेखनीय है दिल्ली मेट्रो रेल का निर्माण।
ऐतिहासिक सम्बन्ध
[संपादित करें]भारत में जन्मे बौद्ध धर्म के ६ठी शताब्दी में जापान में प्रवेश के साथ ही भारत और जापान के बीच सांस्कृतिक सम्बन्ध स्थापित हो गये थे।
भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम
[संपादित करें]ए एम नायर के साथ रासबिहारी बोस जापानी अधिकारियों को भारतीय देशभक्तों द्वारा खड़े होने के लिये राजी करने और अन्ततः विदेशों में भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम का आधिकारिक रूप से सक्रिय समर्थन करने में सहायक थे। बोस ने 28-30 मार्च 1942 को टोक्यो में एक सम्मेलन बुलाया, जिसमें इण्डियन इण्डिपेण्डेंस लीग की स्थापना का निर्णय लिया गया। सम्मेलन में, उन्होंने भारतीय स्वतन्त्रता के लिए एक सेना जुटाने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने 22 जून 1942 को बैंकॉक में लीग का दूसरा सम्मेलन आयोजित किया। यह इस सम्मेलन में था कि सुभाष चन्द्र बोस को लीग में शामिल होने और इसके अध्यक्ष के रूप में कमान संभालने के लिए एक प्रस्ताव अपनाया गया था।
द्वितीय विश्वयुद्ध के समय
[संपादित करें]द्वितीय विश्व युद्ध के समय भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था, इसलिए मित्र राष्ट्रों की ओर से युद्ध में प्रवेश करने के बारे में समझा जाता था। 2 मिलियन से अधिक भारतीयों ने युद्ध में भाग लिया; कई लोगों ने जापानियों के खिलाफ लड़ाई में सेवा की जिन्होंने बूर्मा पर विजय प्राप्त की और भारतीय सीमा में पहुँचे। कुछ 67,000 भारतीय सैनिकों को जापानियों ने पकड़ लिया जब 1942 में सिंगापुर ने आत्मसमर्पण कर दिया, जिनमें से कई बाद में भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) का हिस्सा बन गए। 1944-45 में, बूर्मा में लड़ाई की एक श्रृंखला में संयुक्त ब्रिटिश और भारतीय सेना ने जापानियों को हराया और आईएनए विघटित हो गया।
आजाद हिन्द फौज
[संपादित करें]सुभाष चंद्र बोस, जिन्होंने आज़ाद हिंद का नेतृत्व किया, एक राष्ट्रवादी आंदोलन जिसका उद्देश्य सैन्य साधनों के माध्यम से ब्रिटिश राज को समाप्त करना था, ने आज़ाद हिंद फौज या भारतीय राष्ट्रीय सेना (आईएनए) बनाने के लिए जापानी प्रायोजन का उपयोग किया। INA मुख्य रूप से ब्रिटिश भारतीय सेना के पूर्व कैदियों से बना था, जिन्हें सिंगापुर के पतन के बाद जापानियों ने पकड़ लिया था। वे मुख्य रूप से POW शिविरों में बहुत कठोर, अक्सर घातक स्थितियों के कारण शामिल हुए। INA ने दक्षिण पूर्व एशिया में भारतीय प्रवासियों के स्वयंसेवकों की भर्ती की। बोस भारत के किसी भी आक्रमण में भाग लेने के लिए INA के लिए उत्सुक थे, और कई जापानी लोगों को इस बात के लिए राजी किया कि मुतागुची जैसी प्रत्याशित जीत भारत में ब्रिटिश शासन के पतन का कारण बनेगी। यह विचार कि एक अधिक अनुकूल सरकार द्वारा उनकी पश्चिमी सीमा को नियंत्रित किया जाएगा आकर्षक था। जापान ने कभी भी भारत से उसके ग्रेटर ईस्ट एशिया सह-समृद्धि क्षेत्र का हिस्सा होने की उम्मीद नहीं की।
जापानी सरकार ने भारतीय राष्ट्रीय सेना और इंडियन इंडिपेंडेंस लीग का निर्माण, समर्थन और नियंत्रण किया .. जापानी बलों ने कई लड़ाईयों में INA इकाइयों को शामिल किया, जो कि मणिपुर के यू गो आक्रामक में सबसे खास थीं। इम्फाल और कोहिमा की लड़ाइयों में आक्रामक हमले का समापन हुआ, जहां जापानी सेना को पीछे धकेल दिया गया और आईएनए ने सामंजस्य खो दिया।
वर्तमान काल में भारत जापान-सम्बन्ध
[संपादित करें]राजनीतिक एवं कूटनीतिक सम्बन्ध
[संपादित करें]भारत के स्वतन्त्रता संघर्ष के दौरान भी जापान की शाही सेना ने सुभाष चन्द्र बोस की आजाद हिन्द फौज को सहायता प्रदान की थी। भारत की स्वतन्त्रता के बाद से भी अब तक दोनों देशों के बीच मधुर सम्बन्ध रहे हैं। वर्तमान में भारत की ओर से भी चीन के साथ रिश्तों और वैश्विक परिप्रेक्ष्य में जापान को काफ़ी महत्व दिया गया है। चीन के दोनों ही देशों के साथ सीमा विवाद हैं।
दिसम्बर 2006 में भारतीय प्रधानमन्त्री की जापान यात्रा
[संपादित करें]भारत की ओर से भी चीन के साथ रिश्तों और वैश्विक परिप्रेक्ष्य में जापान को बहुत महत्व दिया गया है। पूर्व प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह सरकार की पूर्व की ओर देखो नीति ने भारत को जापान के साथ मधुर और पहले से बेहतर सम्बन्ध बनाने की ओर प्रेरित किया है। दिसम्बर 2006 में भारतीय प्रधानमन्त्री की जापान यात्रा के दौरान हस्ताक्षरित भारत-जापान सामरिक एवं वैश्विक साझेदारी समझौता इसका ज्वलन्त उदहारण है। रक्षा के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच 2007 से लगातार सहयोग मजबूत हुए हैं[2] और दोनों की रक्षा इकाइयों और सेनाओं ने कई संयुक्त रक्षा अभ्यास किये हैं। अक्टूबर 2008 में जापान ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किये जिसके तहत वह भारत को कम ब्याज दरों पर 450 अरब अमेरिकी डालर की धनराशि दिल्ली-मुम्बई हाईस्पीड रेल गलियारे के विकास हेतु देगा। विश्व में यह जापान द्वारा इकलौता ऐसा उदाहरण है जो भारत के साथ इसके मजबूत आर्थिक रिश्तों को दर्शाता है।
जापानी सम्राट की भारत यात्रा, 2013
[संपादित करें]इससे पहले नवम्बर-दिसम्बर 2013 में जापानी सम्राट आकिहितो और महारानी मिचिको ने भारत की यात्रा सम्पन्न की थी। प्रोटोकॉल के विपरीत सम्राट को हवाई अड्डे पर लेने स्वयं प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह गये थे जो भारत जापान रिश्तों की प्रगाढ़ता दर्शाता है।
जापानी प्रधानमन्त्री शिंजो आबे की भारत यात्रा, जनवरी 2014
[संपादित करें]जापान के प्रधानमन्त्री शिंजो आबे ने जनवरी 2014 में भारत की सपत्नीक यात्रा की जिसके दौरान वे इस वर्ष गणतन्त्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बुलाये गये थे। इसके बाद मनमोहन सिंह जी के साथ हुई शिखर बैठक दोनों प्रधानमन्त्रियों के बीच 2006 की शुरुआत के बाद आठवीं शिखर बैठक थी।[3] इस बैठक में जापान ने भारत को विभिन्न परियोजनाओं के लिये 200 अरब येन (लगभग 122 अरब रुपये) का ऋण देने की पेशकश की और हाई स्पीड रेल, रक्षा, मेडिकल केयर, औषधि निर्माण और कृषि तथा तापीय ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग की भी पेशकश की। भारत जापान श्रीलंका के पूर्वी भाग में त्रिंकोमाली में तापीय विद्युत संयन्त्र निर्माण में भी भागीदारी करने वाले हैं।
भारतीय प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी की जापान यात्रा, अगस्त-सितम्बर 2014
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वर्तमान प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय उपमहाद्वीप से बाहर किसी द्विपक्षीय विदेश यात्रा के लिए सर्वप्रथम जापान को चुना[1]
टोक्यो घोषणा-पत्र का सारांश
[संपादित करें]- सियासी, रक्षा व सुरक्षा भागीदारी- विदेश व रक्षा सचिवों को शामिल करते हुए ‘2 2 वार्ता’ का निर्णय, रक्षा क्षेत्र में सहयोग और आदान-प्रदान के सहमति पत्र पर हस्ताक्षर, हवा और पानी दोनों में विचरण करने वाले यूएस-2 विमान एवं उससे जुड़ी प्रौद्योगिकी के लिए सहयोग पर संयुक्त कार्यदल,
- क्षेत्र एवं विश्व में शान्ति तथा सुरक्षा के लिए वैश्विक साझेदारी-संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के व्यापक सुधार, खासकर स्थाई एवं अस्थाई दोनों वर्गों में इसके विस्तार की अपील तथा इसके लिए 2015 की समय सीमा का सुझाव, आतंकवाद के सभी रूपों एवं प्रकारों की निन्दा,
- असैन्य परमाणु ऊर्जा, परमाणु अप्रसार और निर्यात नियन्त्रण- दोनों देशों के बीच असैन्य परमाणु सहयोग में महत्वपूर्ण प्रगति, भारत के 6 अन्तरिक्ष और रक्षा सम्बन्धित उद्यमों को जापान के फॉरेन इण्ड यूजर लिस्ट से हटाया गया,
- समृद्धि के लिए सहयोग - पाँच वर्षों में भारत में जापान के विदेशी प्रत्यक्ष निवेश और जापानी कम्पनियों की संख्या को दोगुना करने का लक्ष्य, अगले पांच वर्षों में जापान की ओर से भारत में बुनियादी ढाँचा, सम्पर्क, परिवहन प्रणाली, स्मार्ट सिटी, गंगा के अलावा अन्य नदियों का कायाकल्प, उत्पादन, स्वच्छ ऊर्जा, कौशल विकास, जल सुरक्षा, खाद्य प्रसंस्करण, कृषि उद्योग, कृषि शीत शृंखला और ग्रामीण विकास हेतु 35 खरब येन का सार्वजनिक और निजी निवेश तथा वित्त पोषण, इण्डिया इंफ़्रास्ट्रक्चर फ़ाइनेंस कम्पनी लिमिटेड (आईआईएफसीएल) को 50 अरब येन का ऋण, भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स इण्डस्ट्रियल पार्क्स व जापान इण्डस्ट्रियल टाउनशिप की स्थापना, पूर्वोत्तर भारत को शेष भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया के आर्थिक गलियारों से जोड़ने के लिए जापान का सहयोग, शिनकानसेन प्रणाली के लिए आर्थिक, तकनीकी और संचालनगत सहायता, ऊर्जा के क्षेत्र में आपसी सहयोग, भारत से जापान को दुर्लभ खनिज क्लोराइड के उत्पादन और पूर्ति,
- विज्ञान, प्रेरणादायक नव-प्रवर्तन और विकसित प्रौद्योगिकी - स्टीम सेल अनुसन्धान, भौतिक विज्ञान, ज्ञान-विज्ञान, अंक गणित का इस्तेमाल, कम्प्यूटर और सूचना विज्ञान, महासागर सम्बन्धी तकनीक, महासागर निगरानी, स्वच्छ एवं नवीकरणीय ऊर्जा जलवायु परिवर्तन विज्ञान और जल प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में एक दूसरे का सहयोग करने का निर्णय, भारत और जापान में संयुक्त प्रयोगशालाओं को शुरू करने का प्रस्ताव।
दोनों प्रधानमन्त्रियों ने ऐसे रिश्ते बनाने का निर्णय लिया, जिसमें इस शताब्दी में दोनों देशों की तरक्की की राह और इस क्षेत्र तथा दुनिया के स्वरूप को तय करने में सहायता मिलेगी।[4]
आर्थिक सम्बन्ध
[संपादित करें]वर्तमान समय में भारत जापान द्विपक्षीय व्यापर लगभग 14 अरब डालर का है जिसे बढ़ा का 25 अरब डॉलर करने का लक्ष्य रखा गया है। साथ ही जापान का भारत में लगभग 15 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भी है।[5]
जापान की कई कम्पनियाँ जैसे कि सोनी, टोयोटा और होण्डा ने अपनी उत्पादन इकाइयाँ भारत में स्थापित की हैं और भारत की आर्थिक विकास में योगदान दिया है। इस क्रम में सबसे अभूतपूर्व योगदान है वहाँ की मोटर वाहन निर्माता कम्पनी सुज़ुकी का जो भारत की कम्पनी मारुति सुजुकी के साथ मिलकार उत्पादन करती है और भारत की सबसे बड़ी मोटर कार निर्माता कम्पनी है। होण्डा कुछ ही दिनों पहले तक हीरो होण्डा (अब हीरो मोटोकॉर्प) के रूप में हीरो कम्पनी के पार्टनर के रूप में कार्य करती रही है जो तब जगत की सबसे बड़ी मोटरसाइकिल विक्रेता कम्पनी थी।
सामरिक सम्बन्ध
[संपादित करें]भारत और जापान के बीच भी करीबी सैन्य सम्बन्ध हैं। उन्होंने एशिया-प्रशान्त और हिन्द महासागर में समुद्री लेन की सुरक्षा को बनाये रखने और अन्तरराष्ट्रीय अपराध, आतंकवाद, समुद्री डकैती और सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार से निपटने के लिए सहयोग किया है। दोनों राष्ट्रों ने अक्सर संयुक्त सैन्य अभ्यास किया है और प्रौद्योगिकी पर सहयोग किया है। भारत और जापान ने 22 अक्टूबर 2008 को एक सुरक्षा समझौते का समापन किया। जापानी प्रधान मन्त्री शिंजो आबे को कुछ लोगों ने "इण्डोफाइल" के रूप में देखा है और जापान के पड़ोसियों के साथ क्षेत्रीय विवादों में बढ़ते तनाव के साथ, भारत के साथ निकट सुरक्षा सहयोग की वकालत की है। जुलाई 2014 में, भारतीय नौसेना ने इण्डो-पैसिफ़िक समुद्री सुरक्षा पर साझा दृष्टिकोण को दर्शाते हुए जापानी और अमेरिकी नौसेनाओं के साथ एक्सरसाइज मालाबार में भाग लिया। भारत भारतीय नौसेना के लिए यूएस -2 एमफीबीएसई विमान खरीदने के लिए भी बातचीत कर रहा है।
सांस्कृतिक सम्बन्ध
[संपादित करें]जापान और भारत के बीच मजबूत सांस्कृतिक सम्बन्ध हैं, जो मुख्य रूप से जापानी बौद्ध धर्म पर आधारित है, जो जापान टुडे के माध्यम से व्यापक रूप से प्रचलित है। दोनों देशों ने 2007, भारत-जापान सांस्कृतिक समझौते की 50 वीं वर्षगाँठ के वर्ष की घोषणा की, भारत-जापान मैत्री और पर्यटन-संवर्धन वर्ष के रूप में दोनों देशों में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित हुए थे। ऐसा ही एक सांस्कृतिक कार्यक्रम वार्षिक नमस्ते इण्डिया फ़ेस्टिवल है, जो जापान में बीस वर्ष पहले प्रारम्भ हुआ था और अब यह जगत में अपनी तरह का सबसे बड़ा त्योहार है। 2016 के त्योहार में, ओनागावा टाउन के प्रतिनिधियों ने ग्रेट ईस्ट जापान भूकम्प के दौरान भारत सरकार से प्राप्त समर्थन के लिए सराहना के संकेत के रूप में प्रदर्शन किया। ओनागावा वह शहर है जहाँ भारतीय राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की टीम को उसके पहले विदेशी मिशन के रूप में भेजा गया था और लापता व्यक्तियों के लिए खोज और बचाव अभियान चलाया था।
ओसामु तेजुका ने 1972 से 1983 तक जीवनी मांगा बुद्ध लिखा। हाल ही में, जापान ने नालन्दा विश्वविद्यालय के पुनर्निर्माण का भी समर्थन किया है, जो सीखने का एक प्राचीन बौद्ध केन्द्र है और वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए सहमत हो गया है, और हाल ही में एक प्रस्ताव के साथ भारत सरकार से सम्पर्क किया है।
तमिल फ़िल्में जापान में बहुत लोकप्रिय हैं और रजनीकान्त देश में सबसे लोकप्रिय भारतीय स्टार हैं। हाल के दशकों में जापानी लोगों के बीच बॉलीवुड अधिक लोकप्रिय हो गया है, और भारतीय योगी और शान्तिवादी धालसीम जापानी वीडियो गेम शृंखला स्ट्रीट फ़ाइटर में सबसे लोकप्रिय पात्रों में से एक है। 3 जुलाई 2014 से भारतीय नागरिकों के अल्पकालिक प्रवास के लिए जापान में कई प्रवेश वीजा जारी किये गये हैं।
2016 का परमाणु समझौता
[संपादित करें]भारतीय प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी नवम्बर 2016 में तीन दिवसीय यात्रा पर जापान गये जहाँ भारत और जापान के बीच नाभिकीय ऊर्जा पर एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ। इस सौदे में बातचीत करने में छह साल लग गए, 2011 फुकुशिमा परमाणु आपदा से भाग में देरी हुई। यह पहली बार है जब जापान ने परमाणु अप्रसार सन्धि के गैर-हस्ताक्षरकर्ता के साथ इस तरह के समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह सौदा जापान को भारत को परमाणु रिएक्टर, ईंधन और प्रौद्योगिकी की आपूर्ति करने का अधिकार देता है। इस सौदे से भारत को दिल्ली में योजनाबद्ध छह परमाणु रिएक्टर बनाने में सहायता करने का लक्ष्य था, जिसे 2032 तक पूरा किया जायेगा।
विकास
[संपादित करें]अगस्त 2017 में, दोनों देशों ने पूर्वोत्तर भारत के विकास के लिए जापान-भारत समन्वय मंच (JICF) की स्थापना की घोषणा की, जिसे भारत द्वारा पूर्वोत्तर भारत के "विकास के लिए सहयोग के प्राथमिकता वाले विकास क्षेत्रों की पहचान करने के लिए एक समन्वय मंच" के रूप में वर्णित किया गया है। यह मंच उत्तर भारत में कनेक्टिविटी, सड़कों, बिजली के बुनियादी ढांचे, खाद्य प्रसंस्करण, आपदा प्रबंधन, और जैविक खेती और पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से रणनीतिक परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करेगा। एक जापानी दूतावास के प्रवक्ता ने कहा कि उत्तर-पूर्व का विकास भारत और उसकी अधिनियम पूर्व नीति के लिए एक "प्राथमिकता" था और जापान ने भारत को दक्षिण-पूर्व एशिया और ऐतिहासिक से जोड़ने के लिए अपने भौगोलिक महत्व के लिए उत्तर पूर्व में सहयोग पर विशेष जोर दिया।
बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- सितंबर,2014 का टोक्यो घोषणापत्र
- भारत और जापान सहयोग के नए रास्ते पर (रेडियो रूस)
- भारत-जापान रिश्तों का सूर्योदय
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ अ आ "जापान यात्रा पर रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री का वक्तव्य". पत्र सूचना कार्यालय, भारत सरकार. 29 अगस्त 2014. मूल से 3 सितंबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 31 अगस्त 2014.
- ↑ भारत जापान का समुद्री सहयोग Archived 2014-09-03 at the वेबैक मशीन रेडियो डॉयचे वेले (जर्मन रेडियो प्रसारण सेवा)।
- ↑ आर्चिस मोहन - प्रधान मंत्री श्री शिंजो अबे की यात्रा : भारत - जापान संबंधों की पराकाष्ठा Archived 2018-09-12 at the वेबैक मशीन विदेश मंत्रालय, भारत सरकार
- ↑ "भारत-जापान विशेष सामरिक और वैश्विक भागीदारी के लिए टोक्यो घोषणा-पत्र". पत्र सूचना कार्यालय, भारत सरकार. 1 अगस्त 2014. अभिगमन तिथि 2 अगस्त 2014.
- ↑ भारत-जापान व्यापार 2014 तक 25 अरब डॉलर Archived 2014-09-03 at the वेबैक मशीन - Indo Asian News Service, Last Updated: दिसम्बर 29, 2011