बौद्ध मूर्ति कला
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बहुत प्रसिद्ध हैं। आज भी उनकी मुर्तिया जमीन के अन्दर से नीकलती है
बद्ध की मुर्ति हमे शुंग काल से मिलती है भरहुत 200 ईसा पूर्व लेकिन सिर्फ प्रतीक के रुप मे जैसे कमल ,हाथी , छत्र लिये खाली पीठ वाला घोड़ा, पद-चिह्न ,बोधिबृक्ष , स्तूप, ये हिनयान के प्रतीक थे
100 ईसा पूर्व मे साँची के ग्रेट स्तूप में भी यही प्रतीक चिह्न बनाया गया है । जिसे सातवाहन नरेश सत्कर्नी ने बनाया था यहां चार तोरण बनायें गाए है।
कुषाणकाल में मथुरा के कलाकारों सर्वप्रथम बुद्ध की आदमकद प्रतिमा बनाया 32 शारीरिक लक्षण के साथ रेड सैंडस्टोन से
कुषाण काल मे ही कनिश्क के समय गांधार मुर्ति
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