धूप छाँव (1935 फ़िल्म)
दिखावट
धूप छाँव | |
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निर्देशक | नितिन बोस |
लेखक |
सुदर्शन (कथा) नितिन बोस (पटकथा) |
अभिनेता |
विश्वनाथ भादुड़ी विक्रम कपूर कृष्णचन्द्र डे सरदार अख्तर पहाड़ी सान्याल |
प्रदर्शन तिथि |
1935 ई॰ |
लम्बाई |
125 मिनट |
भाषा | हिन्दी |
धूप छाँव सन् 1935 की नितिन बोस द्वारा निर्देशित हिन्दी फ़िल्म है। यह बंगाली फिल्म 'भाग्य चक्र' की रीमेक थी। 'धूप छाँव' पार्श्व गायन का उपयोग करने वाली पहली हिन्दी फ़िल्म थी। वस्तुतः इसके निर्देशक नितिन बोस ने ही पार्श्व गायन की परंपरा आरंभ की थी। सबसे पहले 'भाग्य चक्र' नामक बंगाली फ़िल्म में और फिर उसी के हिन्दी रूपांतर 'धूप छाँव' में।[1] उन्होंने संगीत निर्देशक रायचन्द बोराल और भाई मुकुल बोस के साथ चर्चा की, जो न्यू थियेटर्स में साउंड रिकॉर्डिस्ट थे। रायचन्द बोराल ने पार्श्वगायन तकनीक की खोज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी[2] और इस प्रकार यह विचार क्रियान्वित हो पाया।
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ डॉ॰, सी॰ भास्कर राव (2014). दादा साहब फाल्के पुरस्कार विजेता (भाग-1) (प्रथम संस्करण). दरियागंज, नयी दिल्ली: शारदा प्रकाशन. पपृ॰ 83, 92. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-82196-00-6.
- ↑ मृत्युंजय (संपादक) (2017). सिनेमा के सौ बरस (दशम संस्करण). शाहदरा, दिल्ली: शिल्पायन. पृ॰ 137. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-87302-28-3.