डालेचुक
डालेचुक (Hippophae / हिप्पोफेई) बहुत उंचाई पर उत्पन्न होने वाला एक पादप है। इसे लेह बेर (लेह बेरी) भी कहते हैं।
यह एक औषधीय पादप है। 4000 से 14000 फुट की ऊंचाई पर उगने वाले इस पौधे के फलों के चमत्कारिक गुणों के कारण यह 'संजीवनी बूटी' के समान समान माना जाता है। लेह बेरी ज्यूस में आंवले से अधिक विटामिन सी और भरपूर मात्रा में प्रति-आक्सीकारक (एंटी-ऑक्सीडेंट) होता है।
लेह में इस पौधे को 'गोल्ड माइन' और 'लेह बेरी' के नाम से पहचाना जाता है। इस पौधे के फल लेह बेरी से ज्यूस, कैप्सूल, चाय तैयार की जाती है, जो हृदयरोगियों और मधुमेह के रोगियों के काफी लाभदायक माना जाता है।
एंटी आक्सीडेंट तथा तमाम विटामिनों से भरपूर यह फल बढ़ती उम्र के प्रभाव को रोककर खून की कमी को दूर करने में मददगार है। इसके अलावा यह ग्लेशियर को पिघलने से रोकने, तथा भू-क्षरण रोकने में भी सहायक है जिससे यह जलवायु परिवर्तन के खतरे में भी मददगार रहता है।
भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन इंटरनेशनल सेंटर फार इंटिग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट के साथ मिलकर इस पौधे को बड़ी संख्या में उगाने के लिए काम कर रहा है। पिछले वर्ष लेह-लद्दाख के 12,000 हेक्टेयर क्षेत्र में सोलो पौधे लगाए गए थे।[1]
बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- भिटामिनको भण्डार डालेचुक (नेपाली में)
- डालेचुक (नेपाली में)
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "कौनसी है वह 'संजीवनी बूटी' जिसका जिक्र पीएम मोदी ने अपने भाषण में किया". मूल से 9 अगस्त 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 अगस्त 2019.