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जिओलाइट

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जियोलाइट

जिओलाइट (Zeolites) सूक्ष्मरंध्रीय (microporous), अलुमिनोसिलिकेट खनिज हैं जो अधिशोषक (adsorbents) के रूप में प्रयुक्त होते हैं। यह नाम स्वीडेन के खनिजशास्त्री फ्रेड्रिक क्रोन्स्टेड द्वारा दिया गया था जिसने पाया कि मैटेरियल सिलिबाइट को तेजी से गर्म करने पर यह बहुत अधिक मात्रा में भाप उत्पन्न करता है जो इसके द्वारा अवशोषित जल के कारण है। यह प्रकृति में पाया जाने वाला छिद्र युक्त पदार्थ है। यह उत्प्रेरक की तरह कार्य करता है।

इस वर्ग के मुख्य खनिज निम्नांकित हैं :

१ - ऐनैलसाइट (Analcite) [Na Al (Si O3)2 H20]

२ - नैट्रोलाइट (Natrolite) [Na2 Al2 Si3 O10 2H20]

३- स्टिलबाइट (Stilbite) [Ca, Na2) Al2 (Si3 O3)6, 6H2O ]

जैसा इनके रासायिक संगठन से विदित है, ये सभी खनिज गरम करने पर पानी छोड़ते हैं। इस वर्ग के सभी खनिज आग्नेय शिलाओं में विद्यमान फेल्स्पार तथा ऐल्युमिनियम वाले अन्य खनिजों के परिवर्तन से बनते हैं।

ऐनेलसाइट क्यूबिक समुदाय में स्फटित होता है। यह रंगहीन या श्वेत होता है। इसकी कठोरता ५-५.५ तथा आपेक्षिक घनत्व २.२५ है। नैट्रोलाइट के मणिभ सूई के आकार के होते हैं तथा काच के समान चमकते हैं। इसकी कठोरता एकनत (monoclinic) समुदाय का खनिज है। इसका रंग श्वेत या लाल होता है। इसकी कठोरता ३.५ से ४ तथा आपेक्षिक घनत्व २.१ से २.२ तक है।

इन खनिजों का मुख्य उपयोग भारी पानी को हल्का करने के लिये किया जाता है। भारतवर्ष में इन खनिजों के सुंदर मणिभ राजमहल की पहाड़ियों में, काठियावाड़ में गिरनार पर्वत पर तथा दक्षिण ट्रैप (Deccan Trap) में मिलते हैं।

जिओलाइट की संरचना मधुमक्खी के छत्ते (Honeycomb) के समान होती है। इसका उपयोग पेट्रो रासायनिक (Petro chemical) उद्योगो मे होता है। जैैैसे ZSM-5 का उपयोग एथिल एल्कोहल को पेट्रोल मेे परिवर्तित करने के लिए किया जाता है। Hydrated Zeolite का उपयोग जल के मृदुुुकरण (पीने योग्य) बनाने मे होता है।

इसका उपयोग पेट्रोलियम उद्योगों में हाइड्रोकार्बन के भंजन तथा समावयवीकरण में जियोलाइट का उपयोग उत्प्रेरक के रूप में किया जाता है । कठोर जल को मृदु जल में बदलने के लिये भी इसका उपयोग किया जाता है।

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