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उजाला योजना

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वैश्विक योगदान


भारत

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Prime Minister of India

उजाला योजना (Unnat Jyoti by Affordable LEDs for All (UJALA)) भारत सरकार की एक योजना है जिसके अन्तर्गत कम मूल्य पर एल ई डी बल्ब दिये जाते हैं ताकि बिजली की बचत की जा सके। यह योजना 'बचत लैम्प योजना' के स्थान पर 01 मई 2015 को भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने शुरू की। इस योजना के अन्तर्गत एक वर्ष के अन्दर ही 9 करोड़ एलईडी बल्बों की बिक्री हो गयी, जिससे लगभग 550 करोड रूपये के बिजली बिल की बचत हुई। उजाला योजना की तर्ज पर हिमाचल में गृहिणी सुविधा योजना की शुरुआत की गई है। जो की उजाला योजना का ही लघु रूप है।[1]

योजना का उद्देश्य

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लैम्प्स, नेशनल स्कीम ऑफ ट्राइबल फाइनेंस एंड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (NSTFDC) और आदिवासी महिला सशक्त योजना (AMSY) की प्रमुख योजना है और इसका मुख्य उद्देश्य आजीविका गतिविधियों को करके आदिवासी महिलाओं की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए प्रोत्साहित करना है। इसके अन्य उद्देश्य इस प्रकार हैं:

  • कृषि और खेती के लिए आदिवासी सदस्यों को ब्याज-मुक्त अल्पावधि कर्ज या कृषि ऋण प्रदान करना।
  • बीज, उर्वरक, कीटनाशक जैसी आवश्यक कृषि सामग्री को सब्सिडी के साथ उपलब्ध कराना।
  • सूअर, भेड़, हल बैल जैसे पशुओं और मवेशियों की खरीद के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना।
  • बेहतर कृषि हेतु छोटी कृषि मशीनरी को मुफ्त में उपलब्ध कराना।
  • कृषि उत्पादों के विपणन को प्रोत्साहित, शिक्षित और मार्गदर्शन करना।
  • किसान को जब भी आवश्यकता हो, निर्धारित सीमा के भीतर उपभोग ऋण प्रदान करना।
  • जमीन के बिना कृषि करने वाले किसानों को लघु वन उत्पादों को इकट्ठा करने में मार्गदर्शन करना ताकि मौसमी रोजगार प्राप्त हो सके।
  • वनों से प्राप्त लघु उत्पादों को खरीदना, बेचना और विपणन करना।
  • लैम्प के एक अलग पहलू के रूप में गाँवों में छोटे दुकान शुरू करने के लिए आदिवासियों को सीमित ऋण के लिए एकीकृत शॉपिंग कार्यक्रम (आईएसपी) में सहायता करना।
  • सभी आदिवासी सदस्यों के सामाजिक मानक को बढ़ाने और सुधारने के लिए अन्य आजीविका गतिविधियों को आयोजित और प्रोत्साहित करना।

जनजातीय विकास को बढ़ावा देने के प्रयास

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भारत में जनजातीय समुदायों के समग्र विकास की चुनौती अत्यंत जटिल है, जिसमें कृषि, उद्योग, शिक्षा, और इन समुदायों के जीवन स्तर को सुधारने के हर पहलू पर ध्यान देने की आवश्यकता है। इन प्रयासों को सुदृढ़ करने के लिए पश्चिम बंगाल अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति विकास और वित्त निगम तथा पश्चिम बंगाल जनजातीय विकास सहकारी निगम लिमिटेड ने मिलकर राष्ट्रीय सेवा प्रशिक्षण और विकास निगम (NSTFDC) के सहयोग से प्रभावी परिवर्तन लाने का संकल्प लिया है। इस पहल के अंतर्गत पश्चिम बंगाल के लगभग 42,000 आदिवासी परिवार अब तक लाभान्वित हो चुके हैं।

जनजातीय विकास के प्रमुख प्रयास:

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  1. लघु वन उत्पादों के संग्रह और विपणन के माध्यम से आदिवासी समुदायों के लिए रोजगार के अवसरों में वृद्धि करना।
  2. आदिवासी महिलाओं को किफायती ऋण प्रदान कर प्रसंस्करण इकाइयों और अन्य आजीविका आधारित गतिविधियों में उनका सहयोग करना।
  3. समुदाय के सदस्यों को आवश्यक सामग्री और उपभोक्ता वस्तुओं की आपूर्ति में सहायता प्रदान करना।
  4. महिलाओं को सामाजिक-आर्थिक गतिविधियों में भागीदारी के लिए प्रोत्साहित करना, जिससे वे अपने परिवारों के लिए अधिक वित्तीय योगदान दे सकें।
  5. क्षमता निर्माण को बढ़ावा देकर और व्यक्तिगत पहचान को मजबूत करके समुदाय के लोगों को सामाजिक प्रगति के अवसर प्रदान करना।

इस योजना के अंतर्गत, लघु और सीमांत आदिवासी उत्पादन सहकारी संस्थाएं (LAMPs), NSTFDC से वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए गारंटर के रूप में काम करती हैं। ये संस्थाएं आदिवासी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और उन्हें आजीविका के नए अवसरों से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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  1. भारत, सरकार. "राष्ट्रीय उजाला डैशबोर्ड".