इनसैट-3डीआर
मिशन प्रकार | मौसम उपग्रह |
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संचालक (ऑपरेटर) | भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह |
मिशन अवधि | 10 वर्ष |
अंतरिक्ष यान के गुण | |
बस | आई-2के |
निर्माता | इसरो उपग्रह केंद्र |
लॉन्च वजन | 2,211 कि॰ग्राम (4,874 पौंड) |
शुष्क वजन | 956 कि॰ग्राम (2,108 पौंड) |
ऊर्जा | 1700 वॉट |
मिशन का आरंभ | |
प्रक्षेपण तिथि | 8 सितंबर 2016 |
रॉकेट | भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान एफ05 |
प्रक्षेपण स्थल | सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र |
ठेकेदार | भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन |
कक्षीय मापदण्ड | |
निर्देश प्रणाली | भू-कक्षा |
काल | भू-स्थिर कक्षा |
देशान्तर | 74° पूर्व |
युग | योजना |
इनसैट-3डीआर एक भारतीय मौसम उपग्रह है। यह एक आधुनिक मौसमविज्ञान-संबंधी सैटेलाइट (एडवांस मेट्रोलॉजिकल सैटेलाइट) है जिसमें इमेजिंग सिस्टम और वायु-मंडल-संबंधी घोषक (एटमोस्फियरिक साउंडर) हैं। इसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा बनाया गया है। यह भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह प्रणाली द्वारा संचालित होगा। यह भारत को मौसम संबंधी सेवाएं प्रदान करेगा। उपग्रह को 8 सितंबर 2016 को दोपहर 4:10 (आईएसटी) पर लॉन्च किया गया।[1]
विभिन्न सेवाएं देने के साथ साथ इनसैट-3डीआर तटरक्षक, भारतीय हवाईअड्डा प्राधिकरण, जहाजरानी एवं रक्षा सेवाओं सहित विभिन्न उपयोगकर्ताओं के लिए इनसैट -3डी द्वारा मुहैया कराई जाने वाली संचालनगत सेवाओं से संबद्ध हो जाएगा। इनसैट-3डीआर की मिशन अवधि 10 साल है।[1]
इतिहास
[संपादित करें]भारत के पास अपने तीन मौसमविज्ञान-संबंधी सैटेलाइट पहले से ही हैं। ये हैं : कल्पना 1, इनसैट 3ए और इनसैट 3डी। ये सभी पिछले एक दशक से काम कर रहे हैं। इनसैट 3डी को 2013 में लॉन्च किया गया था। [1]
विशेषताएं
[संपादित करें]इसमें मध्यम इंफ्रारेड बैंड के जरिए इमेजिंग से रात के समय और बादल व कोहरा होने के समय भी तस्वीरें ली जा सकेंगी। दो थर्मल इंफ्रारेड बैंड इमेजिंग के ज़रिये इससे समुद्र की सतह (सी सरफेस टेम्परेचर) पर तापमान का सटीकता से अध्ययन किया जा सकेगा। इनसैट 3डी की तरह ही इनसैट 3डीआर में डेटा रिले ट्रांस्पोंडर व सर्च एंड रेस्क्यू ट्रांस्पोंडर है। इसी के साथ इनसैट 3डीआर इसरो द्वारा पहले भेजे गए मौसमविज्ञान से संबंधी मिशन की सेवाओं को आगे बढ़ाने का काम करेगा। इसके अलावा कुछ खोजने और किसी प्रकार के आपदा में बचाव अभियान में भी इस सैटेलाइट का प्रयोग किया जा सकता है। इनसैट 3डीआर में इसरो में टू टन क्लास प्लेटफॉर्म (आई-2के बस) तकनीक का प्रयोग किया गया है। यह कार्बन फाइबर रीइनफोर्स्ड प्लास्टिक से बना है।सैटेलाइट के सोलर पैनल्स से 1700 वॉट पावर का उत्पादन होता है।[1]
लॉन्च
[संपादित करें]गुरुवार, 8 सितम्बर 2016 को श्रीहरिकोटा प्रक्षेपण स्थल से स्वदेश निर्मित जीएसएलवी-एफ05 रॉकेट की मदद से दो टन से अधिक वजनी अत्याधुनिक मौसम उपग्रह को प्रक्षेपित किया गया। अपराह्न (पी एम) करीब 4.50 बजे (आईएसटी)जीएसएलवी श्रेणी के नवीनतम रॉकेट जीएसएलवी-एफ05 के जरिए मौसम उपग्रह को सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लांच पैड से प्रक्षेपित किया गया।[2] पहले तय हुआ था कि इस उपग्रह का प्रक्षेपण 4.10 बजे (आईएसटी) किया जाएगा लेकिन क्रायोस्टेज फिलिंग के काम में विलंब के कारण प्रक्षेपण का समय 4.50 बजे (आईएसटी) कर दिया गया।[3] इसमें स्वदेश में विकसित क्रायोजेनिक अपर स्टेज(सीयूएस) का प्रयोग किया गया है और यह जीएसएलवी की चौथी उड़ान है। जीएसएलवी-एफ05 इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह क्रायोजेनिक अपर स्टेज को ले जाते हुए जीएसएलवी की पहली संचालन उड़ान है।[1]
प्रतिक्रिया
[संपादित करें]इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ अ आ इ ई उ इनसैट 3डीआर सैटेलाइट के बारे में आइए जानें 10 खास बातें Archived 2016-09-11 at the वेबैक मशीन - एनडीटीवी - 8 सितम्बर 2016
- ↑ 40 मिनट की देरी के बाद लॉन्च हुआ जीएसएलवी, उपग्रह 'इनसैट-3डीआर' सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित Archived 2016-09-09 at the वेबैक मशीन - एनडीटीवी - 8 सितम्बर 2016
- ↑ [ http://www.amarujala.com/india-news/isro-successfully-launched-insat-3dr Archived 2016-09-09 at the वेबैक मशीन इसरो ने लॉन्च किया अत्याधुनिक मौसम उपग्रह, जानें क्या है इसकी खासियत?] - अमर उजाला - 9 सितम्बर 2016