आनंदा शंकर जयंत
आनंदा शंकर जयंत | |
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जन्म |
27 सितंबर 1961 चेन्नई |
नागरिकता | भारत |
शिक्षा | दिल्ली विश्वविद्यालय, उस्मानिया विश्वविद्यालय |
पेशा | नृत्य-परिकल्पक |
पुरस्कार | कला में पद्मश्री श्री |
आनंदा शंकर जयंत भारतीय शास्त्रीय नर्तक, कोरियोग्राफर और विद्वान हैं जिन्हें भरतनाट्यम और कुचिपुड़ी जैसे शास्त्रीय नृत्य रूपों में उनकी दक्षता के लिए जाना जाता है। वह दक्षिण मध्य रेलवे में भारतीय रेलवे यातायात सेवा में पहली महिला अधिकारी हैं। उनका 2009 का कैंसर पे दिया गया टेड विख्यान काफी प्रतिष्ठित है। वह संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, तमिलनाडु सरकार का कलाममानी पुरस्कार और आंध्र प्रदेश सरकार का कला रत्न पुरस्कार प्राप्त कर चुकी हैं। भारत सरकार ने उन्हें कला में उनके योगदान के लिए 2007 में पद्म श्री नागरिक सम्मान से सम्मानित किया।
जीवनी
[संपादित करें]आनंदा शंकर तमिलनाडु के तिरूनेलवेली जिले के तमिल ब्राह्मण परिवार में पैदा हुई। उनके पिता जी॰ एस॰ शंकर भारतीय रेलवे के अधिकारी थे और उनकी माता सुभाषिनी स्कूल शिक्षिका और संगीतकारा थीं। वह हैदराबाद में पली-बढ़ी, जहाँ उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सिकंदराबाद के सेंट एन्स हाई स्कूल में की थी। उन्होंने 4 साल की उम्र में शारदा केशव राव और बाद में के॰ एन॰ पकीर्किस्वामी पिल्लई से शास्त्रीय नृत्य सीखना शुरू किया। 1972 में 11 साल की उम्र में, उन्होंने रुक्मिणी देवी अरुंडेल के संस्थान में प्रवेश लिया जहां उन्होंने पद्म बालगोपाल, शारदा हॉफमैन और कृष्णवेनी लक्ष्मण जैसे शिक्षकों के तहत भरतनाट्यम में प्रशिक्षण लिया। छह साल के अध्ययन के बाद उन्होंने भरतनाट्यम, कर्नाटक संगीत, वीणा, नृत्य सिद्धांत और दर्शन के विषयों में अपना डिप्लोमा और स्नातकोत्तर डिप्लोमा प्राप्त किया।[1]
वह 17 साल की उम्र में हैदराबाद लौट आईं और शंकरानंद कलाक्षेत्र की स्थापना की। यह आठ छात्रों के साथ एक डांस स्कूल था जो तब से डांस एकेडमी बन गया है जिसमें पार्थ घोस, मृणालिनी चुंदुरी, शतीराजू वेणुमाधव और डोलन बनर्जी जैसे कलाकार शामिल हैं। हैदराबाद में, उन्होंने पसुमर्थी रामलिंग शास्त्री के तहत कुचिपुड़ी भी सीखा। समवर्ती रूप से, उन्होंने अपनी अकादमिक पढ़ाई पूरी की और उस्मानिया विश्वविद्यालय से भारतीय इतिहास और संस्कृति में अपनी मास्टर डिग्री पूरी की। उन्होंने भारतीय रेलवे यातायात सेवा (आईआरटीएस) में शामिल होने के लिए सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की। इस प्रकार वह दक्षिण में इस सेवा की पहली महिला अधिकारी बन गईं। आईआरटीएस की सेवा करते हुए, उन्होंने पर्यटन में डॉक्टरेट की उपाधि (पीएचडी) और कला इतिहास में एमफिल करने के लिए अपनी पढ़ाई जारी रखी। उनकी थीसिस प्रमोशन ऑफ़ टूरिज्म इन इण्डिया - रोल ऑफ़ रेलवेज थी।
जून 2008 में, अमेरिका में कुचिपुड़ी सम्मेलन से लौटने के बाद, उन्हें पता चला की उन्हें स्तन कैंसर है।[2] जिसका बाद में इलाज किया गया। नवंबर 2009 में, उन्हें टेड पर अपने अनुभव साझा करने के लिए आमंत्रित किया गया और उन्होंने अपने व्याख्यान में बीच-बीच में नृत्य किया। उन्होंने दो साल तक चले अपने कैंसर के दिनों के बाद अपना नृत्य करियर फिर से शुरू किया। आनंदा शकर की शादी जयंत द्वारकानाथ से हुई है और वह सिकंदराबाद के रेलवे सूचना प्रणाली केंद्र में एक अधिकारी के रूप में काम करती हैं।[3]
पुरस्कार
[संपादित करें]तमिलनाडु सरकार ने 2002 में आनंदा शंकर को कलाममानी पुरस्कार से सम्मानित किया। भारत सरकार ने उन्हें 2007 में पद्म श्री से सम्मानित किया। आंध्र प्रदेश सरकार ने उन्हें 2008 में कला रत्न सम्मान से सम्मानित किया। भरतनाट्यम में उनके योगदान के लिए उन्हें 2009 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार मिला।
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "Ananda Shankar Jayant fights cancer with dance". Pharma Info. 2016. मूल से 27 August 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 August 2016.
- ↑ "Ananda Shankar Jayant: She who danced her way through cancer and conquered it". इंडिया टुडे. 3 नवम्बर 2015. मूल से 21 दिसंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 अगस्त 2016.
- ↑ "Ananda Shankar Jayant : The First Lady IRTS Officer of South Central Railway, Indian Railways" (PDF). Delhi University. 2015. मूल से 11 अक्तूबर 2016 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 24 August 2016.